KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने हाल ही में लालू यादव परिवार से राजनीति में किसी और के आने की संभावना को फिलहाल नकार दिया। तेजस्वी का यह बयान बिहार की राजनीतिक हलचलों के बीच आया, जब परिवारवाद को लेकर सत्ता और विपक्ष के बीच सवाल-जवाब का सिलसिला जारी था। तेजस्वी ने इसके साथ ही केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी और चिराग पासवान को परिवारवाद के आरोप में घेरते हुए कहा कि उनकी राजनीतिक रणनीतियों में परिवारवाद की भूमिका है।
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तेजस्वी यादव का परिवारवाद पर कड़ा बयान
तेजस्वी यादव ने एक पॉडकास्ट के दौरान कहा, “अभी तो फिलहाल कोई नहीं,” जब उनसे पूछा गया कि क्या लालू यादव परिवार से कोई अन्य सदस्य राजनीति में उतरने वाला है। उनके इस बयान ने यह साफ कर दिया कि फिलहाल उनके परिवार से किसी अन्य सदस्य का राजनीति में सक्रिय भाग लेना नहीं होगा। जब उनकी बहनों के राजनीति में आने की संभावना पर सवाल उठाया गया, तो तेजस्वी ने कहा, “अभी तो कोई नहीं है। हम लोग बहुत पीछे हैं मांझी और चिराग पासवान से। संख्या में भारी हैं फिर भी पीछे हैं इस मामले में।”
यह बयान उस समय आया जब बिहार में परिवारवाद पर चर्चा जोरों पर थी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने चिराग पासवान के बहनोई, जीतनराम मांझी और अशोक चौधरी के दामाद को आयोग और बोर्ड में नियुक्त किया था, जो कि विपक्षी दलों द्वारा परिवारवाद के आरोप में घेरने का मुद्दा बना हुआ था।
लालू यादव की सेहत और चुनाव प्रचार में उनकी भूमिका
तेजस्वी यादव ने अपने पिता और राजनीतिक गुरु लालू यादव की सेहत पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा, “अभी उनकी सेहत उस प्रकार नहीं है कि वो चुनाव प्रचार में पूरी तरह से सक्रिय हो सकें।” यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि लालू यादव के किडनी ट्रांसप्लांट के बाद उनका स्वास्थ्य काफी कमजोर हो गया है, और वह चुनावी प्रचार में उतनी सक्रियता से भाग नहीं ले पाएंगे, जितना पहले वह किया करते थे।
लालू यादव परिवार के सदस्य और उनकी राजनीतिक भूमिकाएं
बिहार के लालू यादव परिवार में कई सदस्य वर्तमान में राजनीति में सक्रिय हैं। उनकी पत्नी राबड़ी देवी बिहार विधान परिषद की सदस्य हैं। बड़ी बेटी मीसा भारती पहले राज्यसभा सांसद रही हैं और अब पाटलिपुत्र से लोकसभा सांसद बनी हैं। तेज प्रताप यादव, जो लालू के बड़े बेटे हैं, समस्तीपुर जिले की हसनपुर सीट से विधायक हैं और नीतीश कुमार के साथ गठबंधन के चलते दो बार मंत्री रह चुके हैं।
तेजस्वी यादव, जो लालू के छोटे बेटे हैं, वैशाली जिले की राघोपुर सीट से विधायक हैं और दो बार बिहार के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। तेजस्वी को विपक्षी दलों के महागठबंधन का अघोषित मुख्यमंत्री उम्मीदवार माना जाता है। इन भूमिकाओं से यह स्पष्ट होता है कि लालू यादव परिवार का बिहार की राजनीति में एक मजबूत और गहरा प्रभाव है, हालांकि तेजस्वी ने फिलहाल किसी और परिवार सदस्य को राजनीति में शामिल करने की संभावना को नकारा किया है।
लालू यादव के परिवार में अन्य राजनीतिक गतिविधियां
लालू यादव के परिवार के अन्य सदस्य भी राजनीति में सक्रिय रहे हैं। उनकी बेटी रोहिणी आचार्या ने 2024 लोकसभा चुनाव में सारण सीट से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी से हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा, लालू यादव के एक दामाद, चिरंजीव राव, हरियाणा में कांग्रेस के विधायक रहे हैं। उनके पिता कैप्टन अजय सिंह यादव कांग्रेस के बड़े नेता और मंत्री रहे हैं।
दूसरे दामाद तेज प्रताप सिंह यादव सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के पोते हैं। तेज प्रताप सिंह यादव पहले सपा के सांसद रहे और फिर विधायक बने। इसके अलावा, राहुल यादव नामक एक और दामाद हैं, जिन्होंने यूपी में दो चुनाव लड़े, लेकिन वे जीत नहीं पाए। लालू यादव के साले सुभाष यादव और साधु यादव अलग-अलग सदनों में रहे, लेकिन तेजस्वी यादव के सक्रिय होने के बाद परिवार ने दोनों को किनारे कर दिया।
तेजस्वी यादव का परिवारवाद पर हमला
तेजस्वी यादव ने बयान दिया कि नीतीश कुमार और कुशवाहा के परिवारों को छोड़ दें तो बाकी सभी प्रमुख नेताओं का परिवार राजनीति में सक्रिय है। तेजस्वी का यह बयान बिहार में परिवारवाद की बढ़ती भूमिका पर एक नया आयाम जोड़ता है। उन्होंने कहा कि यह नेताओं का फैक्ट्री बना हुआ है, जहां उनका परिवार लगातार सत्ता में बने रहने के लिए राजनीति में सक्रिय रहता है।
तेजस्वी का यह बयान न केवल उनके परिवार की राजनीति में स्थिति को स्पष्ट करता है, बल्कि यह नीतीश कुमार और चिराग पासवान के परिवारवाद पर भी एक तगड़ा हमला था। तेजस्वी ने यह भी कहा कि उनके परिवार का राजनीति में योगदान लोकतांत्रिक और सार्वजनिक सेवा पर आधारित है, न कि केवल परिवार के सदस्यों को सत्ता में लाने के लिए।
बिहार में राजनीतिक बदलाव और तेजस्वी यादव की भूमिका
बिहार की राजनीति में तेजस्वी यादव की भूमिका अब महत्वपूर्ण हो गई है, और उन्होंने राज्य के विपक्षी महागठबंधन में अपनी पहचान बना ली है। वे न केवल कृषि, शिक्षा, और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर फोकस कर रहे हैं, बल्कि सामाजिक न्याय और आर्थिक समानता की भी बात कर रहे हैं। तेजस्वी का नेतृत्व आने वाले समय में राज्य की राजनीति में और अधिक महत्वपूर्ण हो सकता है, खासकर 2025 के विधानसभा चुनाव के बाद।
तेजस्वी यादव का बयान बिहार में परिवारवाद के मुद्दे पर एक नया मोड़ लेकर आया है। उन्होंने साफ किया कि फिलहाल लालू यादव के परिवार से कोई नया सदस्य राजनीति में नहीं आएगा, लेकिन पार्टी का फोकस राज्य की सामाजिक और आर्थिक समस्याओं को हल करने पर रहेगा। अब यह देखना होगा कि आने वाले विधानसभा चुनावों में तेजस्वी यादव की राजनीति और उनके परिवार की भूमिका क्या रूप लेती है।
बिहार में परिवारवाद एक संवेदनशील और महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है, और तेजस्वी यादव ने इसे नए तरीके से संबोधित किया है। उनके नेतृत्व में, राजद और उनके समर्थक भविष्य में एक मजबूत राजनीतिक रणनीति तैयार करेंगे जो न्याय, समानता, और सामाजिक विकास पर आधारित होगी।
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